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    परिचय

    बीस सूत्री कार्यक्रम की शुरूआत 1975 में की गई थी और बाद में 1982 में तथा फिर 1986 में एल.पी.जी. (उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण) की शुरूआत के साथ इसका पुनर्गठन किया गया। इसे 2006 में पुनः पुनर्गठित किया गया, जिससे योजनाओं को राष्ट्रीय साझा न्यूनतम कार्यक्रम (एन.सी.एम.पी.) में निहित प्राथमिकताओं के साथ-साथ सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (एम.डी.जी.) के अनुरूप बनाया गया।

    बीस सूत्री कार्यक्रम का मूल उद्देश्य गरीबी उन्मूलन करना तथा देश की विशेष रूप से गरीब और वंचित आबादी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। बीस सूत्री कार्यक्रम में गरीबी, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, खाद्य सुरक्षा, कृषि उत्पादकता, पर्यावरण संरक्षण, महिलाओं और अन्य कमजोर वर्गों का सशक्तिकरण आदि जैसे विभिन्न सामाजिक आर्थिक पहलुओं को शामिल किया गया। इस कार्यक्रम के बीस सूत्री और इसके 66 उप-मदों को उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

    कार्यक्रम के तहत मुख्य ध्यान वांछित परिणाम सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नियमित और प्रभावी निगरानी पर है। उत्तराखंड राज्य में बीस सूत्री कार्यक्रम 2006 की निगरानी, ​​राज्य स्तरीय बीस सूत्री कार्यक्रम समिति के उपाध्यक्ष तथा समिति के पदेन अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री के समग्र निर्देशन एवं पर्यवेक्षण में, डीईएस के एक समर्पित बीस सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन विंग द्वारा की जा रही है।