लक्ष्य निर्धारण
- लक्ष्य निर्धारित करने, लाभार्थियों एवं परियोजनाओं के चयन के पश्चात, चयनित स्थलों के आधार पर अनुमान तैयार किये जाते हैं तथा शासन से धनराशि जारी होने से पूर्व विभिन्न स्तरों पर उनकी जांच की जाती है। धनराशि की समय पर स्वीकृति तथा कार्यों का समय पर निष्पादन सुनिश्चित करके शत-प्रतिशत लक्ष्यों की समय पर प्राप्ति कार्यक्रम का मूल सिद्धांत है।
- मासिक लक्ष्यों की प्राप्ति में चार ‘एम’ अर्थात् मैन, मनी, मैटीरियल एवं मैनेजमेंट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिनके बिना कोई भी कार्यक्रम सुचारू रूप से नहीं चल सकता।
- क्षेत्र के लिए योजनाओं का चयन क्षेत्रीय असमानताओं, आर्थिक पिछड़ेपन और मांग अभिविन्यास को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।
- लाभार्थी-उन्मुख कार्यक्रमों के तहत, बीपीएल परिवारों, विशेष रूप से बंधुआ मजदूरों, गरीब महिलाओं, विधवाओं, निराश्रित आदि को प्राथमिकता दी जाती है।
20 सूत्री कार्यक्रम के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ में जिला सेक्टर/राज्य सेक्टर/सीएसएस/ईएपी के अन्तर्गत धनराशि के आबंटन के अनुसार मदवार (रैंकिंग/गैर-रैंकिंग) लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं। तद्नुसार, जिला एवं ब्लॉक स्तर पर लक्ष्यों का आगे वितरण भी उसी आधार पर किया जाता है।